Monday, December 14, 2009

शुक्रिया.....मेरी लडखडाती कलम को संभालने के लिए


नया जोश नया जूनून नयी तरंग है मेरे दिल मे भी उठी एक नयी उमंग है
लडखडाती कलम को मिली जो सराहना मेरी लडखडाती कलम बनी पतंग है
उड़ चली है आसमां में मदमस्त होके अपनी ही धुन मै देखो कैसी हुई मगन है
कोशिश कर रही है आपकी उमीदों पे खरा उतरने की इसलिए जा कर मिली इन्द्रधनुष के संग है
ये मत सोचियेगा ये अब नहीं जमीं के संग है भले ही आसमां की सैर पर हो पर अब भी जमीं पर ही इसके कदम है जिस दिन जमीं छोड़ी इसने उस दिन नहीं रहेगी ये कलम,आपके लिए अलग अलग रंगों को बिखेरेगी ये कलम क्यूंकि अब इसमें मिले है कुछ आपकी उमीदों के रंग
आपकी उमीदों पे खरा उतरने की कोशिश करेगी ये वादा करती है आपसे मेरी लडखडाते लडखडाते संभालती हुई कलम!!

Monday, November 16, 2009

लडखडाती कलम......


शायर तो हम नहीं बस यु ही कलम चला लेते है कभी ख्वाब कभी ख्याल
कभी हकीकत को पन्नो पे बिखेर कर अपना दिल बहला लेते है!!

दीवानगी की हद क्या है, सिर्फ दीवाना जानता है
शमा के जलने का दर्द कहा परवाना जानता है !!

रूठो मगर वक़्त रहते मान जाओ, ये ना हो की तुम रूठे रहो और बाद मे पछताओ
जब जा रहे हो हम चार कांधो पर, और तुम अलविदा भी ना कह पाओ!

ये रात चाँद तारे लेके आई है, हर जगह चांदनी जगमगाई है
पर जाने क्यू मेरे जहाँ को रोशन करने मे चाँद ने भी की बेवफाई है!!

दिल के बिना कहा कोई जी पाया है जिसने दिल अपना दिया वो सिर्फ पछताया है
इस दिल को हमारे पास ही रहने दो खुद से दूर होके हमने इससे धडकना नहीं सिखाया है!!

माना ये वक़्त हमे याद करने का नहीं था, पर ख़ुशी है की आपने याद तो किया
सारे जहा की ख़ुशी है आपके पास, पर आपने हमारी कमी का एहसास तो किया!!

रात तो ख्यालो मे ही जाती है, पर अब तो दिन मे भी तेरा ही ख्याल आता है
बैठी होती हूँ महफिल मे, और ये मुझे तनहा कर जाता है!!

याद आप हमें हर वक़्त आते है फर्क है तो सिर्फ इतना की आप कह जाते है और हम कह नहीं पाते है!!

वक़्त यु ही गुजरता जायेगा और एक और याद पीछे छोड़ जायेगा कौन जाने कल
हम यहाँ हो ना हो पर यही तो वो पल है जो हर वक़्त आप लोगों की याद दिलाएगा!!


इस जहाँ मे कौन है ऐसा जो उम्र भर साथ निभाता है
वादे तो सब करते है पर वादों को कोई कोई ही निभा पता है !!

कहते है लोग की महफिलें तनहइयां दूर किया करती है
पर हमें तो अक्सर महफिलों मे ही तन्हाई मिलती है !!

Friday, September 18, 2009

ज़िन्दगी..............



जाने कितने रंग लेके आती है ये ज़िन्दगी, कभी ख़ुशी कभी गम की दस्तक सुनाती है ये ज़िन्दगी
किसी पल हंसाती तो किसी पल रुलाती है ये ज़िन्दगी, कभी उम्मीद की एक किरण नज़र आती है और कभी नाउमीदी के पलों से घिर जाती है ये ज़िन्दगी
कभी अपनों की खुशियाँ देख के खिलखिलाती है तो कभी गमो के अंधेरों में लडखडाती है ये ज़िन्दगी
कभी दुःख की नदियाँ तो कभी सुख के समुन्द्र में खुशियों की लहरों सी मुस्कुराती है ये ज़िन्दगी
कभी रात के घने साए सी डराती है पर हर रोज़ एक नयी सुबह लाती है ये ज़िन्दगी
थोडी अटपटी है पर इन सभी पलो से कितना कुछ सिखाती है ये ज़िन्दगी
इन सभी पलों से तो मिलकर यादें बनाती है ये ज़िन्दगी, इसलिए मुझे तो हर पल खुशनुमा नज़र आती है ये ज़िन्दगी!

तो क्यूँ ना इन पलों को जी भर जीयें और फिर देखे कैसे हमसे जीत पाती है ये ज़िन्दगी !!